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प्रतिज्ञा


इस पर चारो ओर तालियाँ पड़ गई; और लोगों ने शोर मचाकर आसमान सिर पर उठा लिया।

अमृतराय ने फिर कहा—मैं जानता हूँ, कुछ लोग यहाँ सभा की कार्यवाही में विघ्न डालने का निश्चय करके आये हैं। जिन लोगों ने उन्हें सिखा-पढ़ाकर भेजा है, उन्हें भी जानता हूँ x x।

इस पर एक महाशय बोले—आप किसी पर आक्षेप क्यों करते हैं? इसका फल बुरा होगा।

अमृतराय के पक्ष के एक युवक ने झल्लाकर कहा—आपको यदि यहाँ रहना है, तो शान्त होकर व्याख्यान सुनिये; नहीं हाल से चले जाइये।

कई आदमियों ने लकड़ियाँ सँभालते हुए कहा—हाल किसी के बाप का नहीं है। अगर कुछ गुरदा रखते हो, तो उतर आओ नीचे।

अमृतराय ने जोर से कहा—क्या आप लोग फ़साद करने पर तुले हुए हैं। याद रखिये अगर फसाद हुआ, तो इसका दायित्व आपके ऊपर होगा!

कई आदमियों ने कहा—तो क्या आप फाँसी पर चढ़ा देंगे? आप ही का संसार में अखण्ड राज्य है? आप ही जर्मनी के कैसर हैं?

इस पर फिर चारो ओर तालियाँ पड़ी, और कहकहों ने हाल की दीवारें हिला दी।

एक गुण्डे ने, जिसकी आँखें भङ्ग के नशे में चढ़ी हुई थीं, आगे बढ़कर कहा—बक्खान पीछे होई, आओ हमार-तुम्हार पहले एक पकड़ होइ जाय!

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