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प्रतिज्ञा

क्या अनर्थ कर डाला, प्रेमा? दाननाथ तुम्हें मार ही डालेगा।

प्रेमा ने हँसकर कहा---जब इन उजड्डों को मना लिया, तो उन्हें भी मना लूँगी।

अमृत॰---हाँ प्रेमा, तुम सब कुछ कर सकती हो। मैं तो आज दङ्ग रह गया। अपनी भूल पर पछताता हूँ।

प्रेमा ने कठोर होकर कहा---अपने ही हाथों तो!



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