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प्रतिज्ञा

दान॰--बस, तुम्हारे न्याय-पथ पर चलने ही से तो सारे संसार उद्धार हो जायगा। तुम अकेले कुछ नहीं कर सकते। हाँ, नक्कू सकते हो।

अमृतराय ने दाननाथ को सगर्व नेत्रों से देखकर कहा--आदमी अकेला भी बहुत कुछ कर सकता है। अकेले आदमियों ने ही आदि विचारों में क्रान्ति पैदा की है। अकेले आदमियों के कृत्यों से सारा इतिहास भरा पड़ा है। गौतम बुद्ध कौन था? वह अकेला अपने विचारों का प्रचार करने निकला था और उसके जीवन-काल ही में आधी नेया उसके चरणों पर सिर रख चुकी थी। अकेले आदमियों से राष्ट्रों नाम चल रहे हैं। राष्ट्रों का अन्त हो गया। आज उनका निशान भी की नहीं; मगर अकेले आदमियों के नाम अभी तक चल रहे हैं। आप जानते हैं कि प्लेटो एक अमर नाम है; लेकिन कितने आदमी से हैं जो यह जानते हों कि वह किस देश का रहनेवाला था। मैं अकेला कुछ न कर सकूँ, यह दूसरी बात है। बहुधा समूह भी कुछ हीं कर सकता--समूह तो कभी कुछ नहीं कर सकता; लेकिन अकेला आदमी कुछ नहीं कर सकता--यह मैं न मानूँगा।

दाननाथ सरल स्वभाव के मनुष्य थे। जीवन के सरलतम मार्ग पर चलने ही में वह सन्तुष्ट थे। किसी सिद्धान्त या आदर्श लिए कष्ट सहना उन्होंने न सीखा था। वह एक कॉलेज में अध्यापक थे। दस बजे कॉलेज जाते। एक बजे लौट आते। बाक़ी सारा दिन सर-सपाटे और हँसी-खेल में काट देते थे। अमृतराय सिद्धान्तवादी आदमी थे--बड़े ही संयमशील। कोई