पृष्ठ:प्रतिज्ञा.pdf/१७३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
प्रतिज्ञा

राम-राम! तुम वेद-शास्त्र सभी घोंटे बैठी हो। अच्छा, बताओ विवाह कै प्रकार के होते हैं?

'विवाह के प्रकार के होते हैं इसका क्या मतलब?'

'बड़ी बुद्धिमती हो, तो इसका मतलब समझो।'

'क्या विवाह भी कई तरह के होते हैं! हमने तो एक ही तरहका विवाह सब जगह देखा है।'

कमलाप्रसाद ने विवाह के सात भेद बताये। किस समय में कौन प्रथा प्रचलित थी, उसके बाद कौन-सी प्रथा चली थी, और वर्तमान समय में किन-किन प्रथाओं का रिवाज है, यह सारी कथा बहुत-सी बेसिर-पैर की बातों के साथ कुतूहल-मग्न पूर्णा से कह सुनाई। स्मृतियों का धुरन्धर ज्ञाता भी इतने सन्देह-रहित भाव से इस विषय की चर्चा न कर सकता।

पूर्णा ने पूछा---तो गन्धर्व-विवाह अभी तक होता है?

'हाँ, योरोप में इसका बहुत रिवाज है। मुसलमानों में भी है। इस देश में भी पहले था; पर अब एक कानून के अनुसार फिर भी इसका रिवाज हो रहा है।'

'इस विवाह में क्या होता है?'

'कुछ नहीं, स्त्री और पुरुष एक-दूसरे को वचन देते हैं, बस विवाह हो जाता है। माता-पिता, भाई-बन्धु, पण्डित-पुरोहित किसी का काम नहीं। हाँ, वर और कन्या दोनों ही का बालिग़ होना ज़रूरी है।'

पूर्णा ने अविश्वास के भाव से कहा---विवाह क्या लड़कों का खेल है?

कमलाने प्रतिवाद किया---मेरी समझ में तो जिसे तुम विवाह

१६८