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प्रतिज्ञा

नहीं करती, दूसरे वहाँ शहर के गुण्डों का जमघट रहता है, कहीं किसी से मुठभेड़ हो जाय, तो लाला की हड्डी-पसली चूर कर दे। ये ऐसे ही शिकार की टोह में रहते हैं, जहाँ न पैसे का खर्च है, न पिटने का भय ---'हर्र लगे न फिटकरी और रङ्ग चोखा।' चिकनी-चुपड़ी बातें कीं, प्रेम का स्वाँग भरा और बस, एक निश्छल हृदय के स्वामी बन बैठे।

पूर्णा ने कुछ धृष्टता से कहा---मेरी बुद्धि पर जाने क्यों परदा पड़ गया?

सुमित्रा ने धैर्य देते हुए कहा---तुम्हारे लिए यह कोई नई बात नहीं है बहन! ऐसा परदा पड़ना कोई अनोखी बात नहीं। मैं स्वयं नहीं कह सकती कि प्रेम की मीठी बातों में पड़कर क्या कर बैठती। यह मामला बड़ा नाजुक है बहन! धन से चाहे आदमी का जी भर जाय, प्रेम से तृप्ति नहीं होती। ऐसे कान बहुत कम है, जो प्रेम के शब्द सुनकर फूल न उठे।

सहसा कमलाप्रसाद हाथ में एक पत्र लिए हुए आया; पर द्वार के अन्दर क़दम रखते ही सुमित्रा को देखा, तो कुछ झिझकते हुए बोला---'पूर्णा, प्रेमा ने तुम्हें बुलाया है, मैंने गाड़ी जोतने को कह दिया है, चलो तुम्हें पहुँचा दूँ।' पूर्णा ने सुमित्रा की ओर देखा, मानो पूछ रही है कि तुम्हारी क्या राय है; पर सुमित्रा दीवार की ओर ताक रही थी, मानो उसे पूर्णा से कोई सरोकार ही नहीं है।

पूर्णा ने हिचकते कहा---आप जायँ, मैं किसी वक्त चली जाऊँगी।

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