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प्रतिज्ञा


इधर दोनो मित्रों में बातें हो रही थीं, उधर लाला बदरीप्रसाद के घर में मातम-सा छाया हुआ था। लाला बदरीप्रसाद, उनकी स्त्री देवकी और प्रेमा, तीनो बैठे निश्चल नेत्रों से भूमि की ओर ताक रहे थे, मानो जङ्गल में गह भूल गये हो। बड़ी देर के बाद देवकी बोली--तुम ज़रा अमृतराय के पास चले जाते?

बदरीप्रसाद ने आपत्ति के भाव से कहा---जाकर क्या करूँ?

देवकी--जाकर समझाओ-बुझायो और क्या करोगे। उनसे कहो














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