पृष्ठ:प्रतिज्ञा.pdf/३९

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लाला बदरीप्रसाद की सज्जनता प्रसिद्ध थी। उनसे ठगकर तो कोई एक पैसा भी न ले सकता था; पर धर्म के विषय में वह बड़े ही उदार थे।

स्वार्थियों से वह कोसों भागते थे; पर दीनों की सहायता करने में कभी न चूकते थे। फिर पूर्णा तो उनकी पड़ोसिन ही नहीं, ब्राह्मणी थी। उस पर उनकी पुत्री की सहेली। उसकी सहायता वह क्यों न करते? पूर्णा के पास हल्के दामों के दो-चार गहनों के सिवा और क्या

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