पृष्ठ:प्रतिज्ञा.pdf/५९

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लाला बदरीप्रसाद के लिए अमृतराय से अब कोई संसर्ग रखना असम्भव था, विवाह तो दूसरी ही बात थी। समाज में इतने घोर अनाचार का पक्ष लेकर अमृतराय ने अपने को उनकी नज़रों से गिरा दिया। उनसे अब कोई सम्बन्ध करना बदरीप्रसाद के लिए कलङ्क की बात थी। अमृतराय के बाद दाननाथ से उत्तम वर उन्हें कोई और न दिखाई दिया। अधिक खोज-पूछ करने का अब समय भी न था। अमृतराय के इन्तज़ार में पहले ही बहुत








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