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लाला बदरीप्रसाद को दाननाथ का पत्र क्या मिला, आघात के साथ ही अपमान भी मिला। यह अमृतराय की लिखावट पहचानते थे। उस पत्र को सारी नम्रता, विनय और प्रण, उस लिपि में लोप हो गये। मारे क्रोध के उनका मस्तिष्क खौल उठा। दाननाथ के हाथ क्या टूट गये थे, जो उसने अमृतराय से यह पत्र लिखाया। क्या उसके पाँव में मेंहदी लगी थी, जो यहाँ तक न आ सकता था? और यह अमृतराय भी कितना निर्लज्ज है। वह ऐसा पत्र कैसे लिख सका! ज़रा भी शर्म नहीं आई!

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