पृष्ठ:प्रबन्ध पुष्पाञ्जलि.djvu/११९

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उत्तरी ध्रुव की यात्रा।

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पाठक जानते ही हैं कि पृथ्वी गोल है। पृथ्वी के गोले की एक तरफ योरुप, एशिया और अफ्रीका की पुरानी दुनिया और दूसरी तरफ अमेरिका की नई दुनिया है। दोनों गोलार्दों का ठीक ऊपरी सिरा उत्तरी ध्रुव कहलाता है अर्थात् उसकी स्थिति ठीक ९० अंश पर है। वहाँ हमेशा बर्फ जमा रहता है। बर्फ के भयङ्कर तूफान आया करते हैं, समुद्र जम कर बर्फ की चटान की शकल का हो जाता है। अतएव मनुष्य के लिए ध्रुव प्रदेश प्रायः अगम्य है। परन्तु महा अध्यवसायशील योरुप और अमेरिका वाले अगम्य को गम्य, अज्ञेय को ज्ञेय और अदृश्य को दृश्य करने के लिए भी यत्न करते हैं। १८२७ ई० से लेकर आज तक कितने ही उद्योगी आदमियों ने उत्तरी ध्रुव तक पहुँचने, वहाँ की सैर करने, वहाँ की स्थिति प्रत्यक्ष देखने का यत्न किया है। उन्हें इस काम में बहुत कुछ