पृष्ठ:प्रबन्ध पुष्पाञ्जलि.djvu/१५१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१४१
विस्यूवियस के विषम स्फोट

१० स्फोट हुए। उन में कई स्फोट बड़े भयङ्कर थे। अप्रेल १८७२ का स्फोट सब से अधिक भपण था। इस दफे विस्यूसियस के चारों तरफ जठने हुए तरल पदार्थों को नदियाँ बड़े ही वेग से बहीं। ४,००० फुट की ऊँचाई तक आग, पत्थर ओर गली हुई चीजे उड़ीं। राख तो ८,००० फुट की ऊँचाई तक उड़ी। तरल अग्न की नदियाँ बह कर नेपल्स के पास तक पहुँच गई। पर शहर किसी तरह जलने से बच गया। इस स्फोट से कितने ही नगर विधवन्स हो गये। १८९५ में फिर एक स्फोट हुआ। पर उसमे बहुत ज्यादा हानि नहीं हुई।

यद्यपि अनेक प्रकार के यन्त्र बनाये गये हैं जिन से भूकम्प की सूचना पहिले ही से हो जाती है और ज्वालामुखी पर्वतों के भावी फोट का भी ज्ञान हो जाता है, तथापि अनेक वार देखा गया है कि इन यन्त्रों ने अपना काम ईमानदारी से नहीं किया। वे इस प्रकार की सूचना देने के लिए ज़रूर हैं, परन्तु बहुधा वे इन दुर्घनाओं का समाचार पहले ही से देने में असमर्थ हो जाते हैं। विस्यूवियस में भी एक बेधशाला है। उस में अनेक प्रकार के बहुमूल्य यन्त्र हैं और वैज्ञानिक विद्वान् हमेशा वहाँ रहते हैं। वे विस्यूवियल के दैनिक रंगढंग का हिसाब रखते हैं। पर गत अप्रेल के आरम्भ में विस्यूवियस ने जो सहसा विकराल अग्नि-वर्षा शुरू कर दी, उस की