पृष्ठ:प्रबन्ध पुष्पाञ्जलि.djvu/४३

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शिक्षा

तैयार हो जाय तो भी वह उसे न देगा। कोई चीनी मिट्टी के महापुराने और दरके हुए बर्तन ही को एक अनमोल चीज़ समझ कर अपने पास रखता है। दुनिया में ऐसे भी आदमी हैं जो प्रसिद्ध हत्यारों का स्मरण दिलाने वाली चीजों को हजारों रुपये दे कर मोल लेते और अपने पास रखते हैं। परन्तु क्या इस तरह की रुचि-विचित्रता से ये चीजें कीमती हो सकती हैं? क्या ये चीजें सिर्फ इसलिए बहुत कीमती हो जायँगी कि अपनी विचित्र रुचि के कारण, कोई कोई इन को विशेष मूल्यवान समझते हैं? यदि नहीं, तो इस बात को भी ज़रूर कबूल करना होगा कि कुछ ऐतिहासिक बातें, किसी किसी को बहुत पसन्द होने ही के कारण, कीमती नहीं हो सकतीं। इस तरह की पसन्द उनके महत्वपूर्ण होने का कोई सबूत नहीं। अतएव और बातों की कीमत हम जिस तरह उनके उपयोग का ख्याल करके ठहराते हैं उसी तरह इन बातों की भी कीमत उनके उपयोग का ख्याल करके ही ठहरानी चाहिए। जो चीज़ उपयोगी है वही कीमती है। जो जितनी अधिक उपयोगी है वह उतनी ही अधिक कीमती भी है। हरएक बात की उपयोगिता ही उसकी कीमत की माप है। यदि कोई आकर तुम से कहे कि तुम्हारे पड़ोसी की दिल्ली या कुतिया ने कल बच्चे दिए तो तुम कहोगे कि दिये