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युद्ध-सम्बन्धी अन्तर्जातीय नियम

युद्ध आरम्भ होते ही एक प्रश्न बड़े ही महत्व का उत्पन्न हो जाता है। वह यह कि कौन राष्ट्र तटस्थता की नीति का अवलम्बन करेगा और कौन दो पक्षों में से किसी एक की सहायता करेगा। तटस्थ राष्ट्र का कर्तव्य है कि वह दोनों पक्षों में से किसी को भी किसी प्रकार की सहायता न दे। लड़ने वाले पक्षों का कर्तव्य है कि तटस्थ राष्ट्रों के अधिकारों की कभी अवहेलना न करें। तटस्थ राष्ट्र किसी पक्ष को शत्रों से सहायता नहीं दे सकता, चाहे उसने युद्ध के पूर्व इस प्रकार की सहायता देने का किसी पक्ष को वचन ही क्यों न दिया हो। वह किसी पक्ष को ऋण भी नहीं दे सकता। वह किसी पक्ष की सेना को भी अपनी भूमि पर से नहीं निकलने दे सकता। वह जहाज़ या किसी प्रकार के शस्त्र नहीं बेच सकता। नियम है कि वह अपनी भूमि और अपने समुद्र पर दोनों पक्ष वालों को लड़ने न दे। यदि किसी पक्ष की सेना उसकी भूमि पर से निकलना चाहे तो उसे तितर-बितर कर दे; उसके शस्त्र छीन ले और उसकी सीमा में कैद किये गए किसी पक्ष के सैनिक कैदियों को छुड़वा दे। लड़ने वाले दलों का भी कर्तव्य है कि तटस्थ राष्ट्र के राज्य में किसी प्रकार का उत्पात न करें, न वहाँ सिपाही भरती करें और न वहाँ से किसी प्रकार की रसद ही लें। उनके