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प्रबन्ध-पुष्पाञ्जलि

जहाजों को, यदि उन में कोई सन्देह-जनक माल न हो, वे न छेड़ें। यदि किसी प्रकार से उनके हाथों से तटस्थ राज्य को कोई क्षति पहुँचे तो उसकी पूर्ति करने और उसके लिए क्षमा माँगने को वे तैयार रहें।

उन्हीं जहाज़ों की तलाशी ली जाती है और वही जहाज़ पकड़े जाते हैं जिन पर "वर्जित" सामान हो। वर्जित सामान से युद्ध-सम्बन्धी वस्तुओं ही का मतलब है। घोड़े, गन्धक, शोरा, जहाज़ बनाने का सामान जैसे शहतीरे, इञ्जिन, मस्तूल, बादवान, इञ्जिन की कलें, रस्सियाँ, ताँबा, राल और सन आदि चीजें वर्जित समझी जाती हैं। जहाज़ पर रुपया, पहनने के कपड़े ओर कच्ची धातुओं का होना भी वर्जित मान लिया गया है। कोयला भी वर्जित वस्तु है, परन्तु उसका वर्जित होना इस बात के फैसले पर अवलम्बित है कि उसका व्यवहार किस काम में होगा। यदि उसका व्यवहार किसी औद्योगिक काम के लिए नहीं, किन्तु किसी युद्ध कार्य में होने वाला हो; तो उस की गणना भी, रणनीति के अनुसार, वर्जित वस्तुओं में होगी। गत रूस-जापान-युद्ध में रूस और जापान दोनों ने कोयले की गणना वर्जित ही वस्तुओं में की थी। उसी युद्ध में रूस ने कच्ची कपास को भी "वर्जित" बतलाया था। जब राष्ट्रों में इस विषय पर बड़ी हलचल मची तब