पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/२७५

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साधन, सुन्दर प्रथ जलाये वे गये तोडे गये, अतीत-यथा-मकरन्द को रहे छिपाये शिल्प-कुसुम जो शिला हो हे भारत के ध्वस शिल्प स्मृति से भरे दितनी वर्षा शीतातप तुम सह चुके तुमसरो देस परण इस वेग म कौन कहेगा क्व किमने निर्मित किया शिल्पपूण पत्थर पर मिट्टी हो गये विस मिट्टी की इटें है बिसरी हुई प्रसाद वागमय ॥२१८॥