पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/२९०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

झरना मधुर है स्रोत मधुर है लहरी न है उत्पात, छटा है छहरी मनोहर झरना। कठिन गिरि कहाविदारित करना वात कुछ छिपी हुई है गहरी मधुर है स्रोत मधुर है लहरी कल्पनातीत काल की घटना हृदय को लगो अचानक रटना देखकर झरना। प्रथम वर्षा से इसका भरना स्मरण हो रहा शेल का कटना क्ल्पनातीत काल की घटना कर गई प्लावित तन मन सारा एक दिन तव अपाङ्ग की धारा हृदय से शरना- झरना