पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/१८९

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चुका, अब भी वह लौटकर नही देख रहा है, तब वह आसू बहाती उठ खडी हुई । मगल ने कहा-गाला । तुम इस समय वावा' के साथ जाओ, मैं आकर उन्ह समझा दूंगा । इसके लिये झगडना कोई अच्छी बात नहीं। " गाला निरुपाय नीचे उतरी और बदन के पास पहुँचकर भी कई हाथ पीछेही-पीछे चलन लगी, परन्तु उस कट्टर वुड्ढे ने धूमकर देखा भी नहीं । नये के मन मे गाला का एक आकर्षण जाग उठा था । वह कभी-कभी अपनी बामुरी लेकर खारी के तट पर चला जाता और बहुत धीरे-धीरे उसे फूंकता। उसके मन म भय उत्पन्न हो गया था, अब वह नहीं चाहता था कि वह किसी की ओर अधिक आकर्षित हो, और सबनी आंखो से अपने का बचाना चाहता । इन सब कारणा मे उसने एक कुत्ते को प्यार करन का अभ्यास किया । बडे दुलार से उसका नाम रक्खा था भालू । वह था भी नवरा । निसदिग्ध आँखा स, सपन पाना को गिराकर, जगले दोनो पर खड किये हुए, वह नये क पास बैठा है । विश्वास उसको मुद्रा से प्रकट हो रहा है। वह बडे ध्यान से बसी की पुकार समझना चाहता है। सहसा नये न बसी बन्द करके उससे पूछा--- भानू । तुम्हे यह गीत अच्छा लगा। भालू न कहा- मह। । । ओहा, अब तो तुम बड समझदार हो गय हा ? --कहकर नये न एक चपत धार में लगा दो'। वह प्रसन्नता स सिर झुकाकर पूछ हिलाने लगा । सहसा उछलकर वह सामन की बार भागा। नये उस पुकारता ही रहा, पर वह चला गया । नय चुपचाप बैठा उस पहाडी सनाटे को देखता रहा । कुछ ही क्षण मे भालू आगे दौडता फिर पाये लौटता दिखाई पडा, और उस पीछे-पीछे गाला उसव' दुलार में व्यस्त दियाई पडी । गाला पी वृन्दावनी साडी जब वह पकडकर अगले दोनों पजो स पृथ्वी पर चिपक जाता और गाना उस चिडवतो, तो वह बिलघाडी लडके के समान उछनवर दूर जा घडा होता और दुम हिलाने लगता । नय उसको पीडा का देखकर मुस्किराता हुआ चुप बैठा रहा । गाला ने वनावटी क्राध मे पहा-मना करो अपन दुलार को, नहीं ता--11 | I Tr यह भी दुलार ही ता करता है । बेचारा जा कुछ पाता है, वही ता देता है, फिर इसम उलाहना कैसा गाला । L . 12 } जो पावे उस बाँट दपाला न गम्भीर होकर कहा । III यही तो उदारता है । कहो, आज तो तुमन माडी पहन ही ली, बहुत भली लगती हो। Hd Tr P"प्रककाल . १६१