पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/३८२

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है । सुखदेव । अव क्या यहाँ इन्द्रदेव या श्यामदुलारी फिर आवेगी ? देखना, इन सवको मैं कैसा नाच नचाता हूँ। तहसीलदार के मन मे लघुता को-पहले मधुवन के पिता के यहाँ की हुई नौकरी के कलक को-धो डालने के लिए वलवती प्रेरणा हुई—यह कल का छोकरा सबसे कहता फिरता है तो उसको भी मालूम हो जाय कि मैं क्या हैकुछ विचार करक उसने सुखदेव से कहा तुम जाकर एक बार रामजस को समझा दो। नहीं तो अभी उसका उपाय करता हूँ। मैं चाहता है कि भिडना हा ता मधुवन पर ही सीधा वार किया जाय। दूसरो को उसके साथ मिलन का अवसर न मिले । ___मैं जाता ता हूँ, पर यदि वह मुझसे टर्राया और तुम फिर चुप रह गये तो यह अच्छी बात न होगी।-कहकर सुखदेव चौबे रामजस के खेत पर चले । वहाँ लडको की भीड जुटी थी। पूरा भोज का-सा जमघट था। कोई वेकार नहीं । कोई उछल रहा है, कोई गा रहा है, कोई जो के मुट्ठो को पत्तियां जलाकर झुलस रहा है । रामजस ने जैस टिड्डियो को बुला लिया है । वह स्थिर होकर यह अत्याचार अपने ही खेत पर करा रहा है । जैसे सर्वनाश म उसको विश्वास हो गया हो । अपनी झोपडी मे से, जो रखवाली के लिए वहां पड़ी थी, सूखे खरो को खीचकर लडको को दे रहा था। लडका म पूरा उत्साह था। जिनके यहाँ कोल्हू चल रहा था, वे दौडकर अपने-अपन घरो से ऊख का रस ले आते थे। ऐसा आनन्द भला वे कैसे छोड सक्ते थे। एक लडके ने कहा--रामजस दादा, कहा तो ढोल ले आये। ____नहीं वे, रात को पाताल गाया जायगा । अभी तो बूब पेट भरकर खा ले। फिर ___जभी बात पूरी न हा पाई थी कि सामने से सुखदेव ने कहा-यह क्या हो रहा है रामजस । कुछ पीछे को भी सुध है ? क्या जेल जान की तैयारी कर रहे हो ? क्या तुम हथकडी लेकर आये हो? अरे नही भाई । मैं ता तुमको समझाने आया हूँ । देखो ऐसा काम न करा कि सब कुछ चौपट हो जान के बाद जेल भी जाना पड़ । यह खेत यह खत क्या तुम्हारे बाप का है ? मैंन इसे छाती का हाड तोड कर जोता बोया है, मेरा अन है, मैं लुटा देता है, तुम होते कौन हो? ____ पीछे मालूम हागा, अभी तुम मधुबन के बहकाने मे आ गये हो, जब चक्की पीसनी होगी, तब हकही भूल जायगी। ३५६ . प्रसाद वाङ्मय