पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

पास पहुंचा देती हूँ, वह तो मेरी बहन है, मै तुझे भलीभांति जानती हूँ। तू घबडा मत। हिन्दू स्कूल का एक स्वय-सेवक पास आ गया। उसन पूछा-~-क्या तुम भूल गई हो? तारा रो रही थी। अधेड स्त्री ने कहा-मैं जानती है, यही इसकी माँ है, वह भी खोजती थी। मैं लिवा जाती है। स्वय-सेवक मगलदेव चुप रहा। युवक छात्र एक युवती बालिका के लिए हठ न कर सका। वह दूसरी ओर चला गया, और तारा उसी स्त्री के साथ चली।