पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/४७१

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पुकार कर कहा-"नाव महिला-तीर्थ पर लगाओ।" ब्रह्मचारी ने नाव उसी ओर बढ़ाई । अग्निमित्र ने आश्चर्य से पूछा-"यह क्या आर्य " ___ "बन्दी बन कर कुसुमपुर जाओ। मैं भी कुछ दिन के लिए उत्तराखण्ड जाता हूँ । मिलूंगा।" इरावती: ४५१