पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 2.djvu/६७५

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एक चूंट चन्द्रगुप्त और एक चूंट दोनों १९२९ ईसवी मे एक साथ ही मुद्रकों (सरस्वती प्रेस, काशी ) को दिए गए थे । एक चूंट तो उसी वर्ष छप गया किन्तु चन्द्रगुप्त दो कि रुका रहा। चन्द्रगुप्त (प्रथम प्रकाशन ) के प्रकाशकीय वक्तव्य -दिनांक, रथयात्रा, संवत् १९८८ में इसका उल्लेख यों हुआ है-'यह ग्रंथ दो वर्ष पहले प्रेस में दे दिया गया था, किन्तु ऐमे कारण आते गए कि यह अबके पहिले प्रकाशित न हो सका, इसका हमें खेद है' ( अवलोक्य-प्रसाद वाङ्मय, पृष्ठ ५२३ }। वस्तुतः चन्द्रगुप्त के बाद 'एक चूंट लिखा गया था । चन्द्रगुप्त मौर्य नामक निबन्ध जो इस नाटक की भूमिका के रूप में व्यवहृत होता रहा संवत १९६६ मे लिखा गया था और कल्याणी परिणय नामक रूपक ईसवी १९१२ मे प्रक, गत हुआ था जो किंचित परिवर्तित रूप में यहाँ सम्मिलित हुआ है। अतः कृतित्त्व को काल-संयमित रखने के लिए इसे एक चूंट के पहले रखना आवश्यक और समीचीन रहा । 1