पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 2.djvu/६७७

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परिचय अरुणाचल आश्रम अरुणाचल पहाड़ी के समीप, एक हरे-भरे प्राकृतिक वन में कुछ लोगों ने मिलकर एक स्वास्थ्य-निवास बसा लिया है। कई परिवारों ने उसमें छोटे-छोटे स्वच्छ घर बना लिये हैं। उन लोगों की जीवन-यात्रा का अपना निराला ढंग है, जो नागरिक और ग्रामीण जीवन की सधि है। उनका आदर्श है सरलता, स्वास्थ्य और सौंदर्य । झाड़ आश्रम का मंत्री-एक सुदक्ष प्रबंधकार और उत्साही संचालक, सदा प्रसन्न रहने वाला अधेड़ मनुष्य। रसाल एक भावुक कवि। प्रकृति से और मनुष्यों से तथा उनके आचार-व्यवहारों से अपनी कल्पना के लिए सामग्री जुटाने में व्यस्त सरल प्राणी। वनलता रसाल कवि की स्त्री। अपने पति की भावुकता से असंतुष्ट । उसकी समस्त भावनाओं को अपनी ओर आकर्षित करने में व्यस्त रहती है। मुकुल उत्साही तर्कशील युवक ! कुतूहल से उसका मन सदैव उत्सुकताभरी प्रसन्नता में रहता है। वाला एक पढ़ा-लिखा किंतु साधारण स्थिति का मनुष्ण अपनी स्त्री की प्रेरणा से उस आश्रम में रहने लगता है; क्योंकि उस आश्रम मे कोई साधारण काम करनेवाले को लज्जित होने की आवश्यकता नहीं। सभी कुछ-न-कुछ करते थे। उसकी स्त्री के हृदय में स्त्री-जन-सुलभ लालसाएं होती है: कितु पूर्ति का कोई उपाय नहीं। चंदुला एक विज्ञापन करने वाला विदूषक । प्रेमलता मुकुल की दूर के संबंध की बहन । एक कुतूहल से भरी कुमारी । उसके मन में प्रेम और जिज्ञासा भरी है। आनंद एक स्वतंत्र प्रेम का प्रचारक, घुमक्कड़ और सुंदर युवक । कई दिनों से आश्रम का अतिथि होकर मुकुल के यहाँ ठहरा है।