पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/१६

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थे। तो क्या एक वंश में उतने ही समय में, तीस पीढ़ियां हो गयीं, जितने में कि दूसरे वंश में केवल सात ही पीढ़ियां हुईं ! यह बात कदापि मानने योग्य न होगी। संभवतः इसी विषमता को देखकर श्रीगणपति शास्त्री ने "अभिमन्योः पंचविंश संतानः" इत्यादि लिखा है। कौशाम्बी में न तो अभी विशेष खोज हुई है, और न शिलालेख इत्यादि ही मिले हैं; इसलिए सम्भव है, कौशाम्बी के राजवंश का रहस्य अभी पृथ्वी के गर्भ में ही दबा पड़ा हो। कथा-सरित्सागर में उदयन की दो रानियों के ही नाम मिले हैं। वासवदत्ता और पद्मावती। किन्तु बौद्धों के प्राचीन ग्रन्थों में उसकी तीसरी रानी मागन्धी का नाम भी आया है। वासवदत्ता उसकी बड़ी रानी थी जो अवन्ति के चण्ड महासेन की कन्या थी। इसी चण्ड का नाम प्रद्योत भी था, क्योंकि मेघदूत में "प्रद्योतस्य प्रियदुहितरं वत्सराजोऽत्र जह" और किसी प्रति में "चण्डस्यात्र प्रियदुहितरं वत्सराजो विजह" ये दोनों पाठ मिलते हैं। इधर बौद्धों के लेखों में अवन्ति के राजा का नाम प्रद्योत मिलता है और कथा-सरित्सागर के एक श्लोक से एक भ्रम और भी उत्पन्न होता है। वह यह है-"ततश्चण्डमहासेनप्रद्योतो पितरो द्वयो देव्योः.."।" तो क्या प्रद्योत पद्मावती के पिता का नाम था ? किन्तु कुछ लोग प्रद्योत और चण्डमहासेन को एक ही मानते है। यही मत ठीक है, क्योंकि भास ने अवन्ति के राजा का नाम प्रद्योत ही लिखा है, और वासवदत्ता में उसने यह दिखाया है कि मगधराजकुमारी पद्मावती को यह अपने लिए चाहता था। जैकोबी ने अपने वासवदत्ता के अनुवाद में अनुमान किया कि यह प्रद्योत चण्डमहासेन का पुत्र था; किन्तु जैसा कि प्राचीन राजाओं का देखा जाता है, यह अवश्य अवन्ति के राजा का मुख्य नाम था। उगका राजकीय नाम चण्डमहासेन था। बौद्धों के लेख से प्रसेनजित् के एक दूसरे नाम 'अग्निदत्त' का भी पता लगता है। बिम्बिसार 'श्रेणिक' और अजातशत्रु 'कुणीक' के नाम से भी विख्यात थे। उदयन की दूसरी रानी पद्मावती के पिता के नाम में बड़ा मतभेद है । यह तो निर्विवाद है कि वह मगधराज की कन्या थी. क्योंकि कथा-सरित्सागर में भी यही लिखा है; किन्तु बौद्धों ने उसका नाम श्यामावती लिखा है, जिस पर मागन्धी के द्वारा उत्तेजित किये जाने पर, उदयन बहुत नाराज हो गये थे। वे श्यामावती के ऊपर, बोद्ध-धर्म का उपदेश सुनने के कारण, बहुत क्रुद्ध हुए। यहां तक कि उसे जला डालने का भी उपक्रम हुआ था; किन्तु भास की वासवदत्ता में इस रानी के भाई का नाम दर्शक लिखा है। पुराणों में भी अजातशत्रु के बाद दर्शक, दर्भक और वंशक-इन कई नामों से अभिहित एक राजा का उल्लेख है; किन्तु महावंश आदि बौद्ध ग्रन्थों में केवल अजातशत्रु के पुत्र उदयाश्व का ही नाम उदायिन, उदयभद्रक के रूपान्तर में मिलता है । मेरा अनुमान है कि पद्मावती अजातशत्रु की बहन थी और १६ : प्रसाद वाङ्मय