पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/२५२

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इन्द्र उस काल के विरोधी देवनायक थे जब कि त्वष्टा वरुण-संप्रदाय के आचार्य थे और इस द्वंद्व की रंगभूमि आर्यावर्त थी। इसके प्रमाण ऋग्वेद और सुमेरियन सभ्यता के पूर्ववर्ती जरथुस्त्र के उद्धरणों में विद्यमान है । पिछले काल तक-मौर्यों के समय में भी-सरस्वती-तट आय सीमा मे था, फिर उसके हटने का कारण आर्यो की कोई प्रवृत्ति नहीं जान पड़ती। क्योंकि, सप्तसिंधु या आर्यावर्त से हटकर ही पश्चिम में असुर उपासकों को अपनी सभ्यता का प्रचार करना पड़ा। आर्यावर्त तो अपने धर्म के अवांतर भेदों के साथ जहाँ का तहाँ अविचल रहा। यह इन्द्र-वृत्र का युद्ध संसार के प्रागैतिहासिक काल का भले ही हो, परन्तु आर्य जाति का इतिहास है। Indian Myth में इन्द्र के सम्बन्ध मे लिखा है कि इन्द्र अत्यन्त प्राचीन देवता थे, वे प्रस्तर युग में पूजे जाते थे।' सुमेरिया का ई-ओंस असुर वरुण का विकृत रूप है। प्राचीन चैल्डिया मे वही ईरानी उपासना 'अस्सर माजश' के नाम से प्रचलित थी। Ea-onnes ठीक वैसे ही Artisan के देव थे जैसे त्वष्टा थे। वरुण और वे फारस की खाडी के देवता थे। वहीं से उन्होंने सुमेरिया मे पदार्पण किया। प्राचीन मुमेरिया मे वे आदि निवासियों को घर बनाना इत्यादि सिखाने के लिए आये थे (Indian Myth)। वरुण के उपासक त्वष्टा के अनुयायियों ने वहां पहुंच कर सभ्यता का प्रचार किया- इस विवरण मे तो ऐसा ही प्रतीत होता है। क्योकि, मर जान माल भी वर्तमान काल की खोजों से इसी सिद्धांत के समीप पहुंच रहे हैं। ईजिप्ट की प्राचीन गाथाओं में एक अत्यन्त प्राचीन देवता 'टाह' की पूजा का 9. It is possible that he may have been invoked and propitiated by Neolithic or even by paleolithic flint knippers-!p. 2, Indian Myth). R. Indian Varun was similarly a sky God as well as an ocean God before systematizing Brahmanic teachers relegated him to a permanent abode at the bottom of sea. It may be that Ea-onnes and Varun were of common origin. (p 31, Myth of Babylonia). 3. The opinion has lately been gaioing ground that the cradle of Sumerian and Egyptian civilization is to be sought some where cast of Mesopotamia-migrations then undoubtedly were and those on a large scale and nothing is more probable than that the teeming populations of Northern India cxpanded westward through across the Iranian plateau and northward to the plains of Trans-Caspia-(Sir John Marshell, The Benares Hindu University magazine. 92). १५२: प्रसाद वाङ्मय