पृष्ठ:प्राकृतिक विज्ञान की दूसरी पुस्तक.djvu/१५

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वह सांस लेता है । इस दशा में मच्छर का वीच का धड़ और वह भाग जिससे रक्त चूसता है, एक गोले के भीतर रहते हैं । इसलिये वह कुछ नहीं खाता है ।

लगभग ५ दिन बाद यह कीड़ा मच्छर की पूरी सूरत में आ जाता है। दो चिकने पंख, छः पतली २ टांगें और वह सुई सी वस्तु जिससे रक्त चूसता है, है, निकल आती हैं । अब तुमको मच्छर पानी के ऊपर उड़ २ कर आते हुए देख पड़ते हैं । परन्तु इस दशा में आने से पहिले ही तुमको गिलास का मुँह एक पतले मलमल के कपड़े से बाँध देना चाहिये नहीं तो यह कीड़े मच्छर बन २ कर उड़ जायेंगे और तुम उनको नहीं देख सकोगे। यही मच्छर तुम्हारे कान के पास आ आकर गीत सुना- वेंगे और तुम्हारा रक्त चूसेंगे ।

अब तुम यह समझ गये कि पानी खुला रखने से उसकी क्या दशा होती है । इसलिये अब तुम कभी पीने का पानी खुला न रखना नहीं तो तुमको मच्छरों के अंडे पीने को मिला करेंगे ।

इन्हीं मच्छरों के काटने से ही जूड़ी या फसली बुखार फैलता है। इसलिये इन मच्छरों को सदा नष्ट करने का उपाय करना चाहिये।


Courtesy Dr. Ranjit Bhargava, Desc. Naval Kishore. Digitized by eGangotri