पृष्ठ:प्राचीन चिह्न.djvu/११६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१२——पाताल-प्रविष्ट पाम्पियाई नगर

किसी समय विसूवियस पहाड़ के पास इटली मे एक नगर पाम्पियाई नाम का था। रोम के बड़े-बड़े आदमी इस रमणीय नगर मे अपने जीवन का शेपाश व्यतीत करते थे। हरएक मकान चित्रकारिया से विभूषित था। दुकाने इन्द्र- धनुष के समान तरह-तरह के रङ्गो से रॅगी हुई नगर की शोभा को और भी बढ़ा रही थी। हर सडक के छोर पर छोटे- छोटे तालाब थे, जिनके किनारे भगवान् मरीचिमाली के उत्ताप को निवारण करने के लिए यदि कोई पथिक थोड़ी देर के लिए बैठ जाता था तो उसके आनन्द का पार न रहता था। जब लोग रङ्ग-बिरङ्गे कपड़े पहने हुए किसी स्थान पर जमा होते थे तब बड़ी चहल-पहल दिखाई देती थी। कोई-कोई सङ्गमरमर की चौकियो पर, जिन पर धूप से बचने के लिए पर्दे टॅगे हुए थे, बैठे दिखाई पडते थे। उनके सामने सुस- ज्जित मेज़ो पर नाना प्रकार के स्वादिष्ट भोजन रक्खे जाया करते थे। गुलदस्तों से मेजे सजी रहती थी। यह कहना अत्युक्ति न होगी कि वहाँ का छोटे से छोटा भी मकान सुस- जित महलों का मान-भड्ग करनेवाला था। वहाँ का झोपड़ा भी महल नही, स्वर्ग था।