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प्राचीन चिह्न

लम्बी पूंछ से इस जानवर को पानी मे चलने मे बड़ी मदद मिलती रही होगी। ज़मीन पर खड़े होने मे भी वह बहुत सहायता पहुँचाती होगी। विद्वानों का अनुमान है कि इस जाति के जानवर बड़े बेढब तैरनेवाले होते थे। उनकी ठठरियाँ बहुधा ऐसी चट्टानों मे पाई गई हैं जो समुद्र के भीतर मग्न थी। इन चट्टानों मे समुद्री घोंघे, सीपी आदि भी पाई गई हैं।

आजकल जितने प्रकार के रेगनेवाले जानवर जीवित हैं उनमे से दक्षिणी अमेरिका के इगुवाना नामक जानवर का स्वभाव और चाल-ढाल इससे बहुत कुछ मिलती-जुलती है। ये जानवर यहाँ के गलपागोस नामक टापू मे झुण्ड के झुण्ड पाये जाते हैं। जो चीज़े समुद्र मे पैदा होती हैं उन्हीं पर ये अपना जीवन-निर्वाह करते हैं। ये जानवर सॉप की तरह सारा शरीर और लम्बी पूँछ हिलाकर समुद्र मे बड़ी आसानी से तैरते हैं।

यह जानवर पानी में घुसकर मांस-भक्षी जन्तुओ से अपनी रक्षा करता होगा। क्योंकि सींग आदि रक्षा करनेवाला कोई दृढ़ अङ्ग इसके नहीं होता था। इसका चमड़ा उभड़े हुए छोटे-छोटे दानों से ढका रहता था। हाल ही में एक ऐसी ठठरी मिली है जिसकी पूँछ की हड्डियों पर चमड़े के चिह्न हैं। इसकी हड्डियों के साथ तरह-तरह की पत्तियों, फलो और पेड़ों के तनों के चिह्न चट्टानों में अब तक रक्षित