पृष्ठ:प्राचीन चिह्न.djvu/१३१

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द्विवेदी-ग्रन्थावली
आख्यायिका-सप्तक

इस पुस्तक मे सात आख्यायिकाएँ हैं। सब इतनी सुन्दर तथा मनोरञ्जक हैं कि पुस्तक बिना पूरी पढ़े छोड़ने को जी नहीं चाहता। प्रत्येक कहानी जीवन के किसी अंश का खासा पाठ पढ़ाती है। ये आख्यायिकाएं मनोरञ्जन के साथ-साथ जीवन को सुखमय बना देती हैं । मूल्य दस आने ।

विदेशी विद्वान्

इस पुस्तक में वर्णित विदेशी विद्वानों के चरित्र पढ़ने लायक है। स्वजाति-सेवा, शिक्षा-प्रेम, व्यवसाय-नैपुण्य, नूतन धर्म-स्थापना आदि का इन जीवनियों में अच्छा दिग्दर्शन होता है। ऐसी पुस्तको से न सिर्फ आदर्शों का ही पता लगता है बल्कि विदेशी ढङ्ग की भी बहुत सी बाते' मालुम होती हैं। मूल्य केवल एक रुपया।

कोविद-कीर्तन

इसमे भारत के अर्वाचीन १२ महापुरुषो और विद्वानों के चरित्र, उनकी कृति तथा अन्य आवश्यकीय जीवन-सम्बन्धी ज्ञातव्य बाते रोचक भाषा मे लिखी गई हैं। फिर द्विवेदीजी की लेखनी का चमत्कार किसे नहीं मालूम । पढ़ने से जीवन पर तो असर पडता ही है साथ ही मनोरञ्जन भी होता है। भारतीय नवयुवको के लिए ऐसी पुस्तकों के पढ़ने की आवश्य- कता है। मूल्य केवल एक रुपया।