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यलोरा के गुफा-मन्दिर


सूक्ष्म अनन्त भेदों ने इन मन्दिरों की भव्यता को बहुत ही अधिक बढ़ा दिया है।

जिस समय हिन्दूधर्म की सबसे अधिक उन्नति इस देश में थी उस समय के बने हुए विशाल हिन्दू-मन्दिरो ने यलोरा की गुफाओं को और भी विशेष प्रधानता प्रदान की है। इन मन्दिरों में, मूर्तियों और चित्रों के द्वारा, अनेक पौराणिक प्रकरण प्रत्यक्ष देख पड़ते हैं । यहाँ, कैलास नामक जो मन्दिर है वह अद्वितीय है। पहाड़ काटकर जितने मन्दिर इस देश में बनाये गये हैं, कोई इसकी बराबरी नही कर सकता । यलोरा में यदि अकेला एक यही मन्दिर होता तो भी यह स्थान उतनी ही प्रसिद्धि प्राप्त करता जितनी प्रसिद्धि कि इसने और अनेक मन्दिरो के होते हुए प्राप्त की है।

यलोरा में दक्षिण से उत्तर तक सब ३४ गुफाये और मन्दिर हैं। वौद्धो के गुफा-मन्दिर दक्षिण में हैं। उनकी संख्या १२ है। जैनो के उत्तर मे हैं। उनकी संख्या ५ है। और, हिन्दुओं के मन्दिर बीच में है। उनकी संख्या सबसे अधिक, अर्थात् १७, है। इन मन्दिरों मे, प्रत्येक समूह के, प्रसिद्ध-प्रसिद्ध मन्दिर का संक्षिप्त विवरण, यथाक्रम, यहाँ पर, दिया जाता है।

बौद्धों के गुफा-मन्दिरो का नाम, १ से ४ तक का ढेड़- वाड़ा है और ५ से तक का महारवाड़ा। दसवे का नाम विश्वकमी अथवा सुतार का झोपड़ा; ग्यारहवे का दोन-थाल