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यलोरा के गुफा-मन्दिर

यलोरा में जैन मन्दिरों का समुदाय उत्तर की ओर है। उसमे कुल ५ मन्दिर हैं। वे पूरे नहीं बनने पाये; असम्पूर्ण ही स्थिति में छोड़ दिये गये हैं। परन्तु दो मन्दिर बहुत बड़े हैं। एक मन्दिर का नाम छोटा कैलाश है। छोटा उसे इसलिए कहते हैं, क्योंकि हिन्दुओं के मन्दिर-समूह में कैलाश नाम का एक बहुत बड़ा मन्दिर है। जैनों के और मन्दिरों के विषय में अधिक न कहकर, इन्द्र-सभा और जगन्नाथ-सभा नाम के जो दो प्रसिद्ध मन्दिर हैं उन्हीं के विषय में हम दो- चार बातें, यहाँ पर, कहना चाहते हैं।

हिन्दुओ के कैलाश (जिसका उल्लेख आगे आवेगा) और बौद्धो के विश्वकर्मा मन्दिर को छोड़कर, जैनों के इन्द्र-सभा-मन्दिर की समता यलोरा का और कोई मन्दिर नहीं कर सकता। यह मन्दिर बौद्धो और हिन्दुओं के मन्दिरसमूह के पीछे बना है। मध्य भारत में राष्ट्रकूट-वंशीय राजों का राज्य नवे शतक में बहुत ही निर्वल हो गया था। उस समय यलोरा के आस-पास का देश जैनो ने अपने अधिकार में कर लिया था। जान पड़ता है, उन्होंने बौद्धों और हिन्दुओं की देखा-देखी अपने प्रभुत्व और शासन की यादगार में ये मन्दिर बनवाये हैं। इन्द्र-सभा में कई बरामदे, कई प्राङ्गण और कई देवगृह हैं। उसकी छत की चित्र-विचित्र बनावट, उसके खम्भों की तराश और उन पर का काम, और उसकी मूर्तियों की सुन्दरता अपूर्व है। कहीं महावीर की मूर्ति है; उसके