पृष्ठ:प्राचीन चिह्न.djvu/३

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निवेदन

प्रत्येक जाति और प्रत्येक देश की पूर्वाजित सभ्यता का ज्ञान प्राप्त करने के जो साधन हैं उन साधनों मे प्राचीन इमारतें, प्राचीन स्थान और प्राचीन वस्तुएँ सबसे अधिक महत्त्व की समझी जाती हैं। क्योंकि पुराने शिलालेखों, ताम्रपत्रों और धातुजात सिक्कों के सिवा यही चीजें अधिक समय तक, जीर्ण और शीर्ण हो जाने पर भी, देखने को मिल सकती हैं। यही कारण है जो पुरातत्त्व-विभाग के कार्यकर्ता भारत के प्राचीन खंडहरों और ध्वंसावशेषो को खोद-खोदकर उनके भीतर पृथ्वी के पेट मे, गड़े हुए पदार्थ ढूँढ-ढूँढ़कर निकाल रहे हैं और जो इमारतें टूट-फूट रही हैं उनकी मरम्मत कराकर उनको नष्ट होने से बचा रहे हैं।

इस संग्रह में जो लेख दिये जाते हैं उनमें से कुछ लेखों में बहुत प्राचीन और बहुत प्रसिद्ध बौद्धकालीन इमारतों, गुफाओं और ऐतिहासिक पदार्थों के वर्णन हैं। छः लेखों में पुराने नगरों, स्थानों और मन्दिरों के संक्षिप्त विवरण देकर उनकी प्राचीन ऊर्ज्जितावस्था का भी उल्लेख किया गया है। जो मन्दिर या स्थान अब तक अस्तित्व में हैं उनके दर्शन तो अब भी होते ही हैं; पर जो नष्ट-भ्रष्ट हो चुके उनकी स्मृति की रक्षा का एकमात्र उपाय अब उनके वर्णन से पूर्ण पुस्तकें ही