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प्राचीन चिह्न
करने से वेद-ब्राह्मणां की अप्रतिष्टा नीर अनादर होने की सम्भावना है। कारण यह कि इस विषय के मर्मज्ञ महाशय यदि
कुछ न लिखेंगे तो अन्य साधना के सहारे लोग अपनी जिज्ञासा-
तृप्ति करने लगेंगे। इस दशा में यदि वे यूप को खूटा और
आलम्भ को वध कहने लगे तो कोई आश्चर्य नही। यदि
ऐसा ही होने लगे तो इस भ्रमोत्पादन के अांशिक दोषी हमारे
वेदव्रत विद्वान भी अवश्य ही समझे जायँगे।
[ सितम्बर १९१५
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