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प्राचीन चिह्न


की बस्ती साँचो तक थी। रूपनगर मे अशोक के खुदे हुए शिलालेख मिले हैं। यह नगर भी उस समय बहुत ही अच्छी दशा मे था। भारहट और कौशाम्बी का क्या कहना है। इन नगरों की तो बड़ी ही अजितावस्था थी। कालनगर और शृङ्गिवीरपुर भी खूब वैभवसम्पन्न थे।

कौशाम्बी

कौशाम्बी के आस-पास का प्रान्त पहले वत्स देश कहलाता था। कौशाम्बी उसकी राजधानी थी। उसका वर्तमान नाम कोसम है। यह जगह इलाहावाद से कोई तीस मील दूर, यमुना के तट पर, है। वारह सौ वर्ष हुए जब चीनी परिव्राजक हेन-साग भारत मे आया था। उसने लिखा है कि उस समय तक कौशाम्बी नगरी अच्छी दशा मे थी। वहाँ के राजा के राज्य का विस्तार बारह सौ मील के इर्द-गिर्द में था। गौतम-बुद्ध ने इस नगरी मे दो दफ़े करके दो वर्ष तक धर्मोपदेश किया था। इस कारण बौद्ध लोग बड़े भक्ति भाव से इस स्थान की यात्रा करने आते थे। हेन-सांग ने, और उसके कुछ काल पहले ही फ़ा-हियान नामक चीनी यात्री ने भी, कौशाम्बी के दर्शन किये थे। उस समय वहाँ कितने ही स्तूप, विहार और सङ्घाराम थे।

बौद्ध धर्म के आविर्भाव के बहुत पहले ही कौशाम्बी बस चुकी थी। गङ्गा की धारा मे हस्तिनापुर के बह जाने के बाद, सुनते हैं, पाण्डववंशी कुशाम्ब नामक राजा ने उसे बसाया था।