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प्राचीन चिह्न


ने प्रसिद्धि पाई, वैसे ही जजोती-प्रान्त के रहनेवालों ने जजोतिया नाम पाया। बुंदेलखण्ड में अब भी जजोतिया ब्राह्मण रहते है; ब्राह्मण ही नहीं, बनिये तक जजोतिया कहलाते है । इस प्रान्त को छोडकर इस देश में, जजोतिया प्राय: और कही नही रहते । खजुराहो, इसी जजोतिया प्रान्त की प्राचीन राजधानी था। इसे अब कोई-कोई खजुरो भी कहते है।

खजुराहो का सारा वैभव नाश हो गया है। वह समूल ही उजड़ गया है। परन्तु इस भग्नावस्था में भी वहाँ कोई ३० मन्दिर अब तक विद्यमान है, जो उसकी पुरानी समृद्धि का साक्ष्य दे रहे हैं। इनमे से ६ मन्दिर जैनों के, एक बौद्धो का और शेष २३ हिन्दुओं के है।

हमीरपुर जिले में महोबा एक तहसील है। वह चरखारी से दस-बारह मील है। जो रेलवे-लाइन मानिकपुर से झॉसी को जाती है उसी पर एक स्टेशन महोबा भी है। महोबा से खजुराहो ३४ मील, छत्रपुर से २७ मील और पन्ना से २५ मील है। खजुराहो से केन नदी ८ मील है। १०२२ ईसवी मे महमूद ने कालिजर पर चढ़ाई की थी। उसके साथ अरब का रहनेवाला अबू रैहाँ नामक एक इतिहास-लेखक था। पहले-पहल उसी के लेख में खजु- राहो का नाम पाया जाता है। वह उसे कजुराहह कहता है और जजहुति की राजधानी बतलाता है। इसके अनन्तर इब्न बतूता के ग्रन्थ मे खजुराहो का नाम मिलता है। उसका