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खजुराहो


ग्रन्थ अरबी में है। ली साहब ने उसका अनुवाद अँगरेज़ी में किया है। इब्न बतूता १३३५ ईसवी में इस देश मे आया था। वह खजुराहो को कजुरा कहता है। इन लोगों ने अपने ग्रन्थों में जो पता बतलाया है उससे यह निर्धान्त सिद्ध होता है कि उनका मतलब खजुराहो ही से है।

जजोती-प्रान्त का नाम सबसे पहले ह्वेन सांग के ग्रन्थ में मिलता है। यह चीनी परिव्राजक सातवे शतक में यहाँ आया था। वह खजुराहो राजधानी की परिधि २१ मील बतलाता है और कहता है कि साधुओं और संन्यासियों ही की बस्ती उसमे अधिक है। उसमे कई दर्जन बौद्ध-मठ हैं; परन्तु बौद्ध-संन्यासी बहुत कम है। हिन्दुओं के १२ मन्दिर हैं, जिनमे एक हज़ार के लगभग ब्राह्मण, पूजा-पाठ के लिए, रहते हैं। राजा ब्राह्मण है; परन्तु बौद्ध धर्म को वह हृदय से मानता है। ह्वेन सॉग ने जजोती-प्रान्त का जो वर्णन किया है उससे यह साफ़ ज़ाहिर है कि उसका मतलब उसी प्रान्त से है जो, इस समय, बुंदेलखण्ड कहलाता है। इससे यह अर्थ निकला कि प्राचीन समय में बुंदेलखण्ड का नाम, कान्यकुब्ज, गौड़ और द्रविड़ इत्यादि की तरह, जजोती था; और इस जजोती की राजधानी खजुराहो में थी। जजोती- प्रान्त में जजोतियों ही की बस्ती अधिक थी। कान्यकुब्ज इत्यादि की तरह, जजोती-प्रान्त ही के नाम से वहाँ के रहने- वाले जजोतिया कहलाये। उनका यह जजोतिया नाम अब