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प्राचीन चिह्न


२१ गन्थाई (वैौद्ध लोगों का )
२२ पार्श्वनाथ
२३ आदिनाथ
२४ पार्श्वनाथ


२५ जिननाथ

जैनों के मन्दिर


२६ श्वेतनाथ
२७ आदिनाथ
२८ ऊँचा टीला
२६ नीलकण्ठ महादेव
३० कुवर मठ

इनमे से दो-चार प्रसिद्ध-प्रसिद्ध मन्दिरो का वर्णन, हम, यहाँ पर, थोड़े मे, करते हैं——

पश्चिमी समूह मे जितने मन्दिर हैं वे प्रायः दसवी और ग्यारहवी शताब्दी के मालूम होते हैं। पर उनमे से चौसठ जोगिनी का मन्दिर सबसे पुराना है। वह आठवी शताब्दी के इधर का नही जान पडता। चौसठ जोगिनी के बीच का मन्दिर नष्ट हो गया है। उसके चारों तरफ़ दीवार मे छोटी- छोटी ६४ कोठरियाँ हैं। उन्ही मे योगिनियों की मूर्तियाँ स्थापित थीं। मन्दिर का प्राङ्गण १०२ फुट लम्बा और ६० फुट चौडा है। दीवारों की मुटाई ५१ फुट है। प्रत्येक योगिनी की कोठरी ३३ .फुद ऊँची है। कोठरियों का दर-