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खुजराहो


वाज़ा बहुत छोटा है। सब कोठरियॉ मन्दिर के आकार की हैं, उन पर कलश भी हैं। पर मूर्तियाँ उनमे अब एक भी नही।

कण्डारिया महादेव का मन्दिर, खजुराहो में, सबसे बड़ा है। वह १०६ फुट लम्बा, ६० फुट चौडा और ११६ फुट ऊँचा है। उसमे मन्दिर के सब लक्षण हैं। अर्द्धमण्डप, मण्डप, महामण्डप, अन्तराल और गर्भगृह ये सब उसमें हैं। परन्तु यह समझ में नहीं आता कि “कण्डारिया" का मतलब क्या है ? इस मन्दिर की छत में बहुत अच्छा काम है। इस का कोई भाग ऐसा नहीं है जिसमे पत्थर को काटकर मूर्तियाँ न बनाई गई हों। जगह-जगह पर ताक है; उन पर मूर्तियाँ बैठी हुई हैं। भीतर, बाहर, ऊपर, नीचे——यह मन्दिर मूर्तिमय हो रहा है। मन्दिर के भीतर २२६ और बाहर ६४६ मूर्तियाँ कनिहाम साहब ने गिनी थीं। एक मन्दिर में ८७२ मूर्तियाँ! बहुत हुई। मूर्तियाँ छोटी भी नहीं। कोई-कोई मूर्ति तीन-तीन फुट ऊँची है ! इन मूर्तियों का अधिक समूह गर्भ-गृह और महामण्डप के बीचवाले खम्भों पर है। इनमे से अनेक मूर्तियाँ अश्लीलता-व्यजक हैं। सुनते हैं, कुछ तो ऐसी हैं जिनकी तरफ़ देखा नही जाता। परन्तु बहुत सी मूर्तियाँ अच्छी भी हैं। अच्छी अधिक हैं; अश्लील कम। देवी-देवताओं की जितनी मूर्तियाँ हैं वे सब बहुत अच्छी हैं। इस मन्दिर मे ४३ फुट मोटा शिवलिङ्ग है।