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खुजराहो


दसवीं या ग्यारहवीं शताब्दी के कुटिल अक्षरों मे भीम, सुवच और नाहिल आदि अनेक कारीगरो के नाम खुदे हुए है।

पश्चिमी-समूह के मन्दिरों मे विश्वनाथ का मन्दिर ठेठ उत्तर की तरफ है। उसका आकार-प्रकार वैसा ही है जैसा कण्डारिया मन्दिर का है। परन्तु उससे यह कुछ छोटा है। इसकी लम्बाई ८७ फुट और चौड़ाई ४६ .फुट है । कण्डारिया से यह छोटा है सही; परन्तु उससे कही अच्छी हालत में है। इसके चारों कोनों मे एक-एक छोटा मन्दिर है और एक सामने भी है। इन छोटे मन्दिरों में से कोई-कोई अभी तक पूरा बना हुआ है; कोई-कोई गिर पड़ा है। गर्भ-गृह के द्वार के ऊपर नन्दी पर सवार शिव की मूर्ति है। उसके दाहिनी तरफ़ हंस पर ब्रह्मा हैं और बाई तरफ़ गरुड़ पर विष्णु। मन्दिर के भीतर शिव का एक लिङ्ग है। इस मन्दिर के भी बाहर अश्लील मूर्तियों के झुण्ड है। जगह- जगह पर स्त्रियों की मूर्तियाँ हैं, जिनमे यह दिखलाया गया है कि वे अपने वस्त्रों को गिराकर नग्न होना चाहती हैं। सब मिलाकर ६०२ मूर्तियाँ इस विशाल मन्दिर के बाहर बनी हुई है। उनकी उँचाई दो से ढाई फुट तक है। मन्दिर के भीतर का काम बहुत अच्छा है, अनेक प्रकार का है; और बहुत है। महामण्डप और गर्भ-गृह की छत में दस कोने हैं और प्रत्येक कोने मे आधे कद के एक-एक हाथी की मूर्ति है। ये मूर्तियाँ बाहर की तरफ निकली हुई है और बहुत बड़ी होने के कारण