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प्राचीन चिह्न


बल बढ़ा। उनकी बलवृद्धि के साथ ही साथ प्राचीन महलों, मकानों और मन्दिरों की बरबादी की भी वृद्धि हुई। १६०० ईसवी मे यह प्रदेश पुनर्वार हिन्दुनो की अधीनता मे आया। बुंदेलों ने मुसलमानों से इसे छीनकर अपने अधिकार मे कर लिया। आज तक इस प्रान्त मे किसका कब तक प्रभुत्व रहा, इसका विवरण नीचे दिया जाता है——


शबर अर्थात सहरिया
पाण्डव
गोंड़
गुप्तवंश
देववंश
चन्देल-वंश
मुसलमान
बुन्देल-वंश


समय का पता नहीं ।
ईसा से ३००० वर्ष पहले ।
समय अज्ञात है ।
३०० से ६०० ईसवी तक ।
८५० से ९९९ ईसवी तक ।
१००० से १२५० ईसवी तक ।
१२५० से १६०० ईसवी तक ।
१६०० से १८५७ ईसवी तक ।

यह समय-विभाग आनुमानिक है। पूर्ण बाबू ने इस अनुमान के प्रमाण भी अपनी रिपोर्ट मे दिये हैं; परन्तु विस्तार कम करने की इच्छा से हम उनको यहाँ पर नहीं लिखते।

इस बात का ऐतिहासिक पता नहीं चलता कि कब, किसने, देवगढ़ को बसाया और कब, किस तरह, वह उजड़ा। लोगों का कथन है कि देवपति और खेव (क्षेव ) पति नाम के दो जैन-धर्मावलम्बी भाई थे। उन्होंने देवगढ़ का किला बनवाया और शहर बसाया। जैन मन्दिर भी, जो