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प्रिया-प्रकाश


शब्दार्थ-माधि = मानसिक व्यथा । ब्याधि = रोग । बद्धता = बुढ़ापा । घरकाल प्रवाल वर्षा ऋतु में विदेश गमन या विदेशानियास। मूल-कुजन कुस्वामी, कुतिहय, कुपुरनिवास, कुनारि । परबस, दारिद आदि दै, अरि, दुखदानि बिचारि । ३३ शब्दार्थ-कुगतिहय = बुरी चाल का घोड़ा । कुनारि कर्कशा स्त्री वा कुचरित्रास्त्री। परवश परतंत्र रहना ! --बाहन कुचाल, चार चाकर, चपल चित, मित मतिहीन, सूम स्वामी उर आनिये । पर घर भोजन, निवास बास कुपुरन, केश दास बरपा प्रवास दुख दानिये । पापिन को अंगसंग, अंगना अनंग बस, अपयश युत सुत, चित हित हानिये । मूढ़ता, बुढ़ाई ब्याधि, दारिद, सुठाई आधि, यहई नरक नर लोकन वखानिये । ३४ शब्दार्थ-निवास = सदैव का रहना । बाल -थोड़े दिनों ठह- रना। कुपुर - बुरा गाँच। प्रवास परदेश में रहना। अंग संग-साथ रहना । अंगना = सी। अचंग काम । चिसहित हानि-चितचाही वस्तु का न मिलना। भावार्थ-बहुत स्पट है। १४- मन्दगति वर्णन) मूल- कुलतिय हास बिलास, बुध काम क्रोध मद मानि । शनि, गुरु, सारस, हंस, गज,तियगति मंद बखानि । ३५ साँचा:विरोध