पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/१४५

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प्रिया-प्रकाश वा पाप। (सूर्योदय वर्णनं) मूल-- सूर उदय ते अरुणता पय पावनला होय । शंख बेद धुनि मुनि करें पंथ लगै सब कोय ॥ १८ ॥ कोक, कोकनद शोकहत, दुख कुबलय, कुलटानि । तारा, ओषध, दीप, शशि, धूक, चोर तम हानि ॥ १६ ॥ शब्दार्थ-कोक चक्रवाक । कोकनंद = कमल । कुवलय = कुमुदिनी । तारातरैया। ओपध = जड़ी बूटी (जो चंद्रमा से रस अहण करती हैं ) धूक = उल्लू पक्षी ! तम== अंधकार ( यथा) मूल-कोकनद मोदकर मदन बदन किया, दशमुख-सुख कुवलय दुखदाई है। रोधक असाधु जन, शोधक के तमोगुण, उदित प्रबुद्ध बुद्धि केशोदास पाई है। पावन करन पय हरिपद पंकज के, जगमगै मनु जगमग दरसाई है। तारापति तेजहर, तारका को तारक के, प्रगद प्रभातकर ही की प्रभुताई है ॥२०॥ शब्दार्थ-कोकनद--(१) कमल (२) कोकशालपाठी। कुवलय =(१) कुमोदिनी (२) पृथ्वीमंडल ( कु- बलय)। रोधक-रोकने वाला । असाधुजन-पापी । तमोगुण = (१) पाप (२) अंधकार । प्रबुद्ध = बढ़ी हुई । एयजल । तारा- पति =(१) चंद्रमा (२) बालि । तारका=(१) ताड़का