भूस-गढ़कुंडार तिनके भये, राजा 'साहन पाल' ।
'सहजइन्द्र' तिनके मये, कह केशव रिपुकाल ॥ १० ॥
भावार्थ-अर्जुनपाल के पुत्र राजा सहनपाल' ने श्रोरका
के निकट गढ़कुंडार' नामक स्थान में राजधानी जमाई ।
इनके पुत्र सहजेन्द्रपाल हुए ।
मूल-राजा "नौनिकदे' भये, तिनके पूरणसाज ।
नौनिकदे के सुत मये, पृथु ज्यों 'पृथिवीराज' ॥११॥
'रामसिंह' राजा भये तिनके सूर समान ।
'राजचंद्र तिनके भये राजा चंद्र प्रमान ॥ १२ ॥
राय 'मेदिनीमल' भये, तिनके केशवदास |
अरि मद मर्दन मेदिनी कीन्हो धर्म प्रकाश ॥ १३ ॥
शब्दार्थ-मेदिनी = पृथ्वी।
मूलराजा 'अर्जुनदे' भये तिनके अर्जुन रूप ।
श्री नारायण को सखा कहैं सकल भवभूप ॥ १४॥
महादान पोड्स दिये जीती जग-दिसि चारि।
चारी बेद अठारही सुने पुराण विचारि ॥ १५ ॥
रिपुखंडन तिनके भये राजा श्री 'मलखान' ।
युद्ध जुरे न मुंरे कई जानत सकल जहान ॥ १६॥
नृप प्रलापरुद्र सु भये तिनके जनु रणरुद्र ।
दयादान को कल्पतरु गुननिधि शीलसमुद्र ॥ १७ ॥
नगर ओरछो जिन रचो, जगमें जागति कृति ।
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पहला प्रभाव