पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/१९२

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नवां प्रभाव [ विशिष्वालंकार वर्णन] (अलंकारों की नामावली) मूल-जानि, स्वभाव, विभावना, हेतु, विरोध, विशेष । उत्प्रेक्षा, आक्षेप, क्रम, गणना, आशिष लेप ॥ १ ॥ प्रेमा, श्लेष, सभेद है नियम, विरोधी मान । सूक्षम, लेश, निदर्शना, उर्जस्वा पुनि जान ॥ २॥ रस, अर्थान्तर न्यास है, भेद सहित व्यतरेक । फेरि अपह्नति, उक्ति है, वक्रो कति सविवेक ।। ३ ।। अन्योकति, व्यधिकरन है, विशेषोकत्ति भाषि । फिरि सहोक्ति को कहत हैं, क्रमही सो अभिलाषि ॥४॥ ब्याजस्तुति निंदा कहैं, पुनि निंदास्तुति वंत । अमित सु पर्यायोक्ति पुनि, युक्त सुनो सब संत ॥ ५॥ स समाहित जु सुसिद्धि पुनि औ प्रसिद्ध विपरीत । रूपक, दीपक भेद पुनि, कहि प्रहेलिका मीत ॥ ६ ॥ अलंकार परवृत कहौ उमा जमक सुचित्र । भाषा इतने भूषणाने भूषित कीजै मित्र ॥ ७ ॥ ( नोट ) केशव ने ३७ नाम मुख्य कहे हैं, पर इनके अवान्तर भेद मिलकर इनसे अधिक अलंकारों का वर्णन इस पुस्तक में है।