पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/१९८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मया प्रभाव (अभाव हेतु का उदाहरण ) मूल जान्यो न मैं मद यौबन को उतरयो कब, काम को काम म्याई । छोड्न चाहत जीव फलेवर जोर कलेवर छोडि दयो ई। आवत जात जरा दिन लीलत, रूप जरा सब लालि लिया है। केशव राम ररौं न अनसाधे ही साधन सिद्ध भयो ई ॥१७॥ शब्दार्थ -काम को काम गयोई सब काम चेष्टायें चली गई। कलेवर शरीर । जोर-शक्ति, ताकत । जरा-जरावस्था । रौँ - रटौं, जौ। सिद्ध-सिद्ध पुरुष, महात्मा ( जो काम क्रोधादि के वश न हो) भावार्थ-मैंने न जाना कि जवानी का मद कब उतर गया, काम चेष्टाएं कब चली गई। जीव शरीर को छोड़ना चाहता है, शरीर ने जोर छोड़ ही दिया है। आते जाते दिनों को जरावस्था लीलती जाती है, रूप को जरावस्था ने लील ही लिया है । अब मैं राम नाम जपू या न जपू, (श्रवण, मनन, आसन, प्राणायामादि) साधनों को बिना साधेहो अरावस्था ने मुझे सिद्धपुरुष बना दिया है। नोट जरावस्था (जो स्वयं निर्बल है ) ने पूरा काम कर दिया, अन्य साधनों ने सहायता नहीं की। अतः प्रभाव (विशेष) यदि साधन न होता तो प्रथम विभावना होती । यदि साधनान्तर से काम होता तो दूसरी विभावना होती । यहाँ साधन तो है पर निर्यल है अतः अभाव हेतु है। (सभाव अभाव हेतु का उदाहरण ) मूल-जा दिन तें वृषभानु ललीहि अली मिलये मुरलीधर ते ही।