पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/२०

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पहला प्रभाव


शब्दार्थ-आपुनः समझता था। राजा रावत मूल-तिनपर चढ़ि आयें जु रिपु केशव गये ते हारि । जिन पर चदि आपुन गये आये तिन्हैं सहारि ॥२३॥ = श्राप (स्वयं मधुकरशाह) मूल सबलशाह अकबर अवनि जीतिलई दिसि चारि । मधुकरसाह नरेश गढ़ तिनके लीन्हे मारि ॥ २४ ॥ खान गनै सुलतान को राजा रावत वादि । हारे मधुकरसाह सो श्रापुन साह मुरादि ॥ २५ ॥ शब्दार्थ-वह मधुकरसाह सुलतान अकबर को एक साधारण खान (सरहार बादि राजा रावत को तो कुछ भी न समझता था। मूल साध्यो स्वारथ साथही परमारथ सों नेह । गयो प्रभु बैकुंठ मग ब्रह्मरंध्र तानि देह ॥ २६ ॥ तिनके दलहराम सुत लहुरे होरिलराव । जनखडन कुलमंडनौं पूरन पुहुमि प्रभाव ॥ २७ ॥ रणरूरो दलसिंह पुनि, रतनसेन सुल-ईश । बांध्यो आपु जलालदी बानो जाके शीश ॥ २८ ॥ इन्द्रजीत रणजीत पुनि शत्रुजीत बलबीर । बिरसिंह देव प्रसिद्ध पुनि, हरसिंह भो रणधीर ॥ २९ ॥ मधुकर शाह नरेश के, इतने भये कुमार । रामशाह राजा भये, तिनमें बुद्धि उदार ॥ ३० ॥ शब्दार्थ-ब्रह्मरंध्र मग तालू फट कर प्राण वायु का निक-