पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/२१५

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२०६ प्रिया-प्रकाश (श्राक्षेप के प्रकार) मूल-प्रेम अपरीज, धीरजह, संशय मरण, प्रकास । आशिष, धरम, उपाय कहि, शिक्षा केशवदास ॥६॥ भावार्थ-साक्षेप अर्थात् वर्जन कार्य नौ प्रकार से प्रगट किया जाता है। यथा--- १-(प्रेमाक्षेप) मूल- ल-प्रेम बखानत ही जहां, उपजत कारज बाधु । कहत प्रेम आक्षेप तह, तासों केशव साधु ॥ ७ ॥ भावार्थ-जहां पूर्ष म वर्णन करतेही प्रारंभित कार्य में बाधा उपस्थित हो, वह प्रेमाक्षेप है। ( 7 ) मूल-ज्यों ज्यों बहु घरजी मै, प्राणनाश्न मेरे प्राण, अंग न लगाइये जू , आगे दुख पाइबो । त्यों त्यों हँसि हँसि अति शिर पर उर पर, कीबो कियो प्रांखिन के ऊपर खिलाइना । एको पल इत उत साथ तें न जान दीन्हे, लीन्हे फिरे हाथ ही कहालौं गुण गाइनो। तुमतो कहत तिन्हें छोड़ि के चलन अब, छांडत ये कैसे तुम्हें भागे उठि धाइबो || ८ ॥ शब्दार्थ-अंग लगाना-प्रेम से अपने प्राश्चित बना लेना। कहां लौं गुण झाइयो मैं कहां तक 'सा करू।