पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/२२

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पहला प्रभाव


भरत भगीरथ पारथहि उनमानत सब ताहि ।। ३७॥ सुत सोदर नृप राम के यद्यपि बहु परिवार । तदपि सबै इंद्रजीत सिर राज काज को भार ॥ ३८ ॥ कल्प वृक्ष सो दानि दिन सागर सो गंभार । केशव सूरो सूर सौ अर्जुन सो रणधीर ॥ ३२ ॥ ताहि कछोवा कमल सो गढ़ दीन्हों नृप राम । विधि ज्यों साधत बैठि तह केशव बाम अबाम ।। ४० ॥ भावार्थ-राजा रामसिंह चंदेरी चले गये । ओरछा का राज्य अपने भाई इन्द्रजीत के सिपुर्द कर गये। कछोवा नामक गढ़ में इन्द्रजीत जी रहा करते थे। इन्हीं के दरबार में केशव दास जी रहा करते थे। बाम-शत्रु । अवाम = मित्र । मूल-कन्यो अखारो राज के शासन सब संगीत । ताको देखत इन्द्र ज्यों इन्द्रजीत रणजीत ॥४१॥ भाव-इन्द्रजीत ने समस्त राज्य पर सुन्दर शासन जमा कर संगीत का अखाड़ा जमाया, और इन्द्र की तरह संगीत में ही मस्त रहा करते थे।