पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/२४४

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प्रिया-प्रकाश भद्गाश्व, हिरण्य । रस-काव्य के नव रस । निधि नथ निधिया (पा, शंख, महापा, मकर, कच्छप, मुकुंद, कुंद, नौल, खर्व)। सुभाकुंड = अमृत के नवकुण्ड माने गये हैं। नवग्रह - प्रसिद्ध हैं। नाटिका - नव नाडी शरीर की मुख्य हैं ( इड़ा, पिंगला, सुषुम्ना, गंधारी, पूषा, गजजिहा, पसाद, शनि, शंखिनी)। भक्ति - श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, बंदन, दास्य, सत्य, आत्म निवेदन । (विशेष)-अंक ( १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९), दुर्गा, और द्रज्य भी नव हैं। ब्राह्मणों के गुण भी नव मानते हैं। (दस सूचक) मूल -रावण सिर, श्री विष्णु के. दश अवतार बखानि । विश्वेदेवा, दोष दस, दिसा, दशा, दस जानि ॥२१॥ शब्दार्थ-विश्वेदेवा दस माने गये हैं। दोष = मनुष्य के दस दोष-यथा:- चोर, जुवारी, अज्ञ अरु कायर, मूक, कुरूप । अंध, पंगु, अरु बधिर पुनि, लीव दोष दस रूप । दिसा=दस प्रसिद्ध हैं। दशा = (वियोग की दस दशाएं) अभिलाष, चिंता, सारण, गुण कथन, उद्वेग, प्रलाप, उन्माद, ज्याधि, जड़ता, मूर्छ। (विशेष)--केशव ने गणना सूचक शब्द इतने ही कहे हैं, पर अब नीचे लिखे शब्दों का भी प्रचार है:- ११ के लिये शिव, रुद्र । १२ के लिये, भानु, भूपण, राशि, मास। १३ के लिये परम भागवत, नदी । १४ के लिये भुवन, मनु, रक्ष और विद्या । १५ के लिये तिथि । १६ के लिये, कला,