पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/२५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सुखद् सकाति ग्यारहवाँ प्रभाव नहीं होने देते, ( केशव कहते हैं कि) श्री रामजी के प्रसिद्ध भत हैं। हाथी पकड़ने वाले और भीलों को प्रिय मानते हैं, निज माता को सुखद है (क्षत्राणी वीर पुत्र से प्रसन्न होती है ) अर्थात् बड़े बीर हैं। निज प्रजा के भाई सभ सहायक हैं और और भी अनेक नवीन गुण ई ( जो अन्य राजानों में नहीं है) ऐसे राना अमरसिंह हैं। मैंने उन्हें ऐसाही समझा है। (पांच अर्थ का श्लेज) मूल-भावत परम हंस जात गुण सुनि सुख, पावत संगीत मीत विवुध बखानिये । धर समरसनेही बहु, बदन विदित यश केशोदास मानिये । राजै द्विजराज पद भूवन बिमल कम- लासन प्रकास परवार प्रिय मानिये । ऐसे लोकनाथ के त्रिलोकनाथ नाथ नाथ कै. रघुनाथ के अमरसिंह जानिये ॥ २३ ॥ ( सुचना)-इसके अर्थ लोकनाथ (ब्रह्मा ), त्रिलोकनाश (कृष्णजी ), नाथनाथ (शिनजी) रधुनाथ ( रामजी ) नया अमरसिंह पर लगाये जायेंगे। शब्दार्थ-(प्रापक्ष)-भावत परम- (परम भारत) पास प्रकाश के समान है शरीर जिसका । हेहसावतार नारा- यण । जात= पुत्र (सनकादिक)। गुजत (वाइविवाद) (नोट) कथा है कि एक समय सनकादिक ने ब्रह्मा से कुछ प्रश्न किये । उनका उत्तर ब्रह्मान दे सके तब नारायण का