पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/२६०

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ग्यारहवाँ प्रभाव प्रशंसा करते हैं। सुमबद शक्ति = ईश्वर की सुखदायिनी 'लीला' नामक शक्ति जिसका अवतार राधिकाजी हैं। समर सनेही = काम के रनेही है (पुत्ररूप से काम को जन्म दिया है--प्रद्युम्न काम के अवतार थे)। बहुबदन विदित = सयको विदित है कि रास लीला में जिन्होंने अनेक शरीर (बदन) धारण किये थे। यश के शोदास गानिये - केशव कहते हैं कि जिमका या अनेक दास गाते हैं। द्विजराज पद = शृगु जी के लात का चिन्ह । कमला श्रेष्ठ स्त्री । सन=संग। प्रकाश जाहिर है । कमलासन प्रकाश जाहिर है कि ब्रज में श्रेष्ठ स्त्रियों के संग रमण किया करते थे। परार प्रिय = पराई हाराय प्रिय ी (परकीया नायिकाओं के उपपति थे) मानिये-तिसपर भी मानी नायक थे। भावार्थ-कृष्ण कैसे हैं कि उनको सूर्यपुत्री यमुना बहुत भाती है, अतः उसके गुणगुनकर सुखी होते है, संगीत कला के मित्र हैं, देवता उनका यश बखानते है, लीला शक्ति (राधिका- वतार से ) को धारण करने वाले हैं अर्थान् राधिका के साथ बिलास करने वाले हैं, काम के बड़े सलेही हैं (कि पुत्र रूप से पैदा किया ), राललाला में अनेक शरीर धारण किये यह बात सबको विदित ही है, दास लोग उनका यश गाते हैं, भृगु जी के चरण का चिन्ह जिनके हृदय पर बिमल भूषण- बत शोभा देता है, श्रेष्ठ मारियों के साथ रहते थे यह जाहिर ही है। पर मारियां उन्हें निप र्थी, तो भी मानी दायक होकर ही रहते थे। मार्थ---( नाय नाथ शिव पक्ष)-भावत-प्रभावान हैं। परम हल - परम हंस वृत्ति वाले हैं। जात = पुत्र ( गणेश वा